07-26-22, 09:38 AM
|
#191 |
| بينما أنا أُلمْلمْ أحزاني في زحام صورتك..
قررت أن أُراوغ حبكِ الجاثم بِ أضلعي..
وبسخرية إلتفتت لِ طيش غبائي لذكرياتك
وبصوتٍ هزيل همست لِ مسامعي..ويلُك.. مُحال ومستحيل ويُحال نزّع طيف إمرأة
قد تربعت يوماً عرش هواك.. وإنني لا أُخفيك..إبتسمت حقاً...
وأحببتك أكثر من ذي قبل....! |
| |